यूपी: मायावती ने चला दांव, 18 मंडलों में कराएंगी ब्राह्मण सम्मेलन, मिशन—2022 को लेकर बनाया ये प्लान
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चूंकि चर्चा है कि ब्राह्मण भाजपा से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में यूपी की सियासत में दबदबा रखने वाले ब्राह्मण को रिझाने में सियासी दल हर कोशिश में जुटे हैं। इसी क्रम में यूपी में अगले बरस होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने बड़ा दांव चला है।
लखनऊ। मिशन—2022 को लेकर सूबे में बढ़ रही सियासी सरगर्मियों के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने ब्राह्मणों को रिझाने के लिए बड़ा दांव चला है। चूंकि चर्चा है कि ब्राह्मण भाजपा से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में यूपी की सियासत में दबदबा रखने वाले ब्राह्मण को रिझाने में सियासी दल हर कोशिश में जुटे हैं।
इसी क्रम में यूपी में अगले बरस होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने बड़ा दांव चला है। एक बार फिर से बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित-ब्राह्मण कार्ड खेला है। इसका ऐलान मायावती ने रविवार को किया है। बसपा सुप्रीमों के मुताबिक 23 जुलाई से प्रदेश के 18 मंडलों में BSP की ओर से ब्राह्मण सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
बताया गया कि इसका आगाज अयोध्या से होगा। इसकी जिम्मेदारी BSP के महासचिव सतीश चंद्र मिश्र को सौंपी गई है। वहीं बसपा सुप्रीमो ने कहा है कि जनता, देश और प्रदेश के बहुत से मुद्दों पर केंद्र सरकार की जवाहदेही चाहती है। जिन पर सभी विपक्षी पार्टियों को एकजुट और गंभीर होकर सरकार को कटघरे में खड़ा करना होगा।
उन्होंने कहा कि जनता भी यही चाहती है और यह समय की मांग भी है। वहीं मायावती ने कहा कि केंद्र सरकार के 3 नए कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसान लंबे समय से दिल्ली बॉर्डर और अन्य स्थानों पर धरना दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का उदासीन रवैया दुखद है। कहा कि इनकी मांगों के संबंध में संवेदनशील होकर काम करने के लिए संसद में हर प्रकार का दबाव बनाना जरूरी है।
BSP चीफ मायावती ने बताया कि केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण देश में बेरोजगारी बढ़ रही है। आर्थिक संकट पैदा हो चुका है। उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस आदि की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। महंगाई आसमान छूने लगी है। उनके मुताबिक केंद्र सरकार की लापरवाही से जनता त्रस्त है।
मायावती ने कहा कि देश में कोरोना पीड़ित की मदद और देश में टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है। मगर इस पर अमल ना होने के कारण देश की जनता काफी निराश है। उन्होंने कहा कि BSP इन सभी मुद्दों के साथ मानसून सत्र में केंद्र सरकार से सवाल करेगी। वहीं मीडिया से बातचीत के दौरान आखिर में मायावती ने ब्राह्मण कार्ड खेल दिया।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की खराब नीतियों से जनता निराश है। अलग-अलग तरह से सभी समाज के लोगों का शोषण हो रहा है, जो ठीक नहीं हैं। उनके मुताबिक खासकर ब्राह्मण समाज तो बहुत ही दुखी है। जिन्होंने पिछले चुनाव में BJP के बहकावे में आकर उन्हें एकतरफा वोट किया था। पूरे 5 साल की सरकार भी बनाई। उनके मुताबिक ब्राह्मण समाज के लोग अब भाजपा के बहकावे में नहीं आएंगे।
उन्होंने उम्मीद जताई कि ब्राह्मण समाज के लोग BSP से जुड़कर एक बार फिर से सर्व समाज की सरकार बनाएंगे। बताया गया कि बसपा के ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत अयोध्या से 23 जुलाई को होगी। बसपा ने अपने ब्राह्मण चेहरे सतीश चन्द्र मिश्रा को लेकर ब्राह्मणों को एकत्र करने कोशिश की है। बताया गया कि मंडलों के अलावा प्रदेश के सभी जिलों में भी ब्राह्मण सम्मेलन होगा।
बताया गया कि अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन के लिए स्थान अभी तय नहीं है। अयोध्या में आयोजन की जिम्मेदारी बसपा नेता करुणाकर पांडे को दी गई है। बताया गया कि बसपा का ब्राह्मण सम्मेलन 2007 के चुनावी अभियान की तर्ज पर होगा। बताते चलें कि शुक्रवार को लखनऊ में पूरे प्रदेश से 200 से ज्यादा ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता बसपा दफ्तर पहुंचे थे, जहां आगे की रणनीति पर चर्चा हुई थी।
बताया गया कि दलित-ब्राह्मण-ओबीसी के फॉर्मूले के साथ मायावती 2022 चुनाव में उतरेंगी। मायावती ने 2007 में यूपी के चुनाव में 403 में से 206 सीटें जीतकर और 30 फीसदी वोट के साथ सत्ता हासिल करके देश की सियासत में खलबली मचा दी थी। गौरतलब है कि बसपा 2007 का प्रदर्शन कोई आकस्मिक नहीं था। उसके पीछे मायावती की सोची समझी रणनीति काम कर रही थी।
प्रत्याशियों की घोषणा चुनाव से लगभग एक साल पहले ही कर दी गई थी। वहीं ओबीसी, दलितों, ब्राह्मणों और मुसलमानों के साथ एक तालमेल बनाया गया था। वहीं अब मिशन—2022 में एक फिर बसपा इसी फॉर्मूले को लेकर चुनाव रण में उतरने की तैयारी कर रही है।