इटावा: सरकार मेहरबान पर एनओसी के लिए शिक्षक परेशान,तबादले में कालेज प्रशासन की मनमानी बनी बाधक
सुदूर जनपदों में तमाम घरेरू परेशानी झेलते हुए अपने अध्यापन कार्य का निर्वाहन कर रहे माध्यमिक शिक्षकों को योगी सरकार ने गृह जनपद स्थान्तरण का अवसर दिया तो शिक्षक खुशी से फूले न समाए। लेकिन आनलाइन हो रहे आवेदन में लगने वाले एनओसी प्रमाण पत्र को लेकर स्कूल प्रबधंकों के खेल के आगे शिक्षक अपने को बड़ा बेबस व असहाय महसूस कर रहे है।
इटावा। घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर सुदूर जनपदों में तमाम घरेरू परेशानी झेलते हुए अपने अध्यापन कार्य का निर्वाहन कर रहे माध्यमिक शिक्षकों को योगी सरकार ने गृह जनपद स्थान्तरण का अवसर दिया तो शिक्षक खुशी से फूले न समाए। लेकिन आनलाइन हो रहे आवेदन में लगने वाले एनओसी प्रमाण पत्र को लेकर स्कूल प्रबधंकों के खेल के आगे शिक्षक अपने को बड़ा बेबस व असहाय महसूस कर रहे है।
एनओसी के लिए इधर से उधर चक्कर काट रहे है। मगर कालेज प्रशासन की मनमानी व अन्दर खाने के खेल के आगे शिक्षक बेबस दिख रहा है। दरअसल ऐडेड इंटर कालेजों में पढ़ाने वाले इन शिक्षकों को एक तो जहां पढ़ा रहे हैं वहां से एनओसी लेना है और जहां अपने गृह जनपद में जा रहे हैं, वहां से भी एनओसी प्रणाम पत्र प्राप्त करना है।
ऐसे में कालेज प्रशासन उनके गृह जनपद में उनके स्थानांतरण को लेकर बाधक बनता दिख रहा है। चर्चा है कि एनओसी देने के नाम पर पैसों का भी खूब खेला होता है। क्योंकि ये कालेज अर्द्धसरकारी है, ऐसे में कालेज प्रबंधकों की खूब चलती है और एनओसी के नाम पर पैसों का खेल भी खूब फलने—फूलने को आतुर रहता है।
ऐसे में सरकार द्वारा माध्यमिक शिक्षकों को गृह जनपद में पढ़ाने का अवसर दिए जाने के बावजूद कालेज प्रबंधकों के खेल के आगे शिक्षक परेशान है। शिक्षकों ने जिला शिक्षा प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा है कि गृह जनपद जाने का मार्ग अपनी संस्तुति देकर प्रशासन प्रशस्त करें।
वहीं मामले को लेकर माध्यमिक शिक्षक संघ, इटावा के जिला अध्यक्ष कवि कमलेश शर्मा ने शिक्षकों की पीड़ा बताते हुए अपने कई शिक्षक साथियों का उदाहरण देते हुए उनकी पीड़ा बयां की है। उन्होंने अपने एक शिक्षक साथी की पीड़ा बताते हुए उनकी पारिवारिक व्यथा को भी सुनाया। साथ ही बताया कि उनकी पत्नी का देहांत हो चुका है।
तीन बच्चे है वो भी छोटे हैं। ऐसे में गृह जनपद में स्थानांतरण के योगी सरकार के अवसर ने उनकी पीड़ा को कम करने का काम किया। उन्होंने बताया कि साथी शिक्षक ने अपने गृह जनपद में एक विद्यालय में जैसे तैसे एनओसी भी ले ली।
लेकिन इटावा जनपद के उनके विद्यालय की प्रधानाचार्य और उनके पति जो परोक्ष रूप से प्रबंधक के रूप में विद्यालय पर अपना प्रभाव जमाए हुुए हैं, उन्होंने उक्त को किसी भी दशा में एनओसी नहीं थी। जिससे शिक्षक अपनी पारिवरिक स्थिति और शिक्षण के अपने कार्य दायित्व को लेकर परेशान है।
कमलेश शर्मा ने बताया कि संगठन व मैने भी काफी प्रयास किया मगर कालेज प्रशासन नहीं माना। उन्होंने ऐसे ही समस्याएं बड़ी संख्या में होने की बात कही। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने शिक्षकों की पीड़ा समझते हुए उन्हें अपने गृह जनपद जाने का अवसर दिया है, मगर कालेज प्रशासन उनके स्थानांतरण में एनओसी के मार्फत बाधक बन अपना दायित्व नहीं निभा रहा है।
उन्होंने कालेज प्रशासन व जिला शिक्षा प्रशासन से अनुरोध करते हुए सुदूर जनपदों के इटावा जनपद में कार्यरत शिक्षकों की पीड़ा समझते हुए अपनी सुस्तुति देकर शिक्षकों के गृह जनपद में जाने के मार्ग को प्रशस्त करने की मांग की है।