जब थानेदार ने लेट होने के कारण लौटा दी आईजी की एप्लीकेशन

टीम भारत दीप |
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सांकेतिक तस्वीर
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आमतौर पर ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में कोई जूनियर अफसर अपने सीनियर की बात को टाल दे। ऐसा हुआ और हुआ भी वहां जिस विभाग को आदेशों पर चलने वाला ही माना जाता है।

आमतौर पर ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि किसी भी सरकारी या निजी संस्थान में कोई जूनियर अफसर अपने सीनियर की बात को टाल दे। ऐसा हुआ और हुआ भी वहां जिस विभाग को आदेशों पर चलने वाला ही माना जाता है। मामला है उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग का जिसके एक आईजी रैंक के अफसर ने प्रयागराज के कर्नलगंज थाने के प्रभारी के पत्र लिखा। यह पत्र था उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए हुई लिखित परीक्षा में गड़बडी की जांच करते हुए उस पर एफआईआर दर्ज करने के लिए। शिकायतकर्ता यानी आईजी साहब ने अपने फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर इसकी जानकारी भी दी और उन्होंने बताया कि पत्र के साथ उन्होंने मामले को लेकर पर्याप्त सुबूत भी दिए हैं। 


कुछ दिन तक को ये मामला यूंही चर्चा का विषय बना रहा। सोशल मीडिया पर परीक्षा को लेकर पक्ष-विपक्ष के लोग आईजी साहब की पोस्ट पर कमेंट कर माहौल को गर्माते रहे। इसी बीच कुछ दिन बाद एक और पोस्ट आई और इसमें आईजी ने बताया कि कर्नलगंज थाने के प्रभारी ने उनकी एप्लीकेशन को यह कहकर लौटा दिया है कि आप शिकायत करने में लेट हो गए। मामला बहुत पुराना है और उससे संबंधित कार्यवाही माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद व माननीय उच्चतम न्यायालय में भी चल रही हैं, ऐसे में आपके द्वारा भेजी गई एप्लीकेशन सिर्फ एक पब्लिसिटी पाने का प्रयास भर है। 


थानेदार साहब ने यह पत्र प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के लिए लिखा है जो कि उनके इमीडिएट बाॅस हैं। मुमकिन है कि आईजी साहब की एप्लीकेशन भी इसी चैनल से आई होगी। थानेदार ने अपने पत्र में मामले में जांच पूरी कर लेने की बात भी कही है। यह पत्र मिलने के बाद आईजी ने अपना प्रार्थना पत्र और थानेदार का जवाब दोनों सोशल मीडिया पर पोस्ट किए। इसे देख यूजर्स की एक ही प्रतिक्रिया अधिकतर आई कि जब एक आईजी को रिपोर्ट लिखवाने में इतनी परेशानी झेलनी पड़ रही है तो आम आदमी के साथ क्या होता होगा। हालांकि जो ये आईजी साहब हैं उनके लिए यह कोई नया मामला नहीं है, वे अक्सर सिस्टम से यूं ही सामना करते देखे जाते हैं। 

 

मिलिए आईजी से
मामले में जिन आईजी यानी पुलिस महानिरीक्षक का जिक्र हो रहा है उनका नाम अमिताभ ठाकुर है। अमिताभ वर्तमान में उत्तर प्रदेश पुलिस के नागरिक सुरक्षा विभाग यानी सिविल डिफेंस में आईजी के पद पर तैनात हैं। पुलिस अधिकारी के साथ-साथ अमिताभ ठाकुर आरटीआई कार्यकर्ता भी हैं और समय-समय पर वे और उनकी अधिवक्ता पत्नी नूतन ठाकुर जनहित के मुद्दे उठाते रहते हैं। उत्तर प्रदेश में पुलिस अधीक्षक के रूप में अपनी तैनाती से ही अमिताभ ठाकुर का अपनी कार्यशैली को लेकर सरकार और शासन से टकराव देखा गया है। इसके लिए कई बार उन्हें निलंबन का सामना भी करना पड़ा लेकिन बाद में जीत उन्हीं की हुई। इस सब के कारण उनका डीआईजी के पद पर प्रमोशन भी लटक गया हालांकि इसके बाद वे ऐसे पुलिस अधिकारी बन गए जिन्हें एसपी से सीधे आईजी के पद पर प्रमोट किया गया।


ताजा मामला
वर्तमान का यह मामला उत्तर प्रदेश के बेसिक प्राइमरी स्कूलों में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए चल रही प्रक्रिया का है। बेसिक शिक्षा विभाग ने साल 2018 के अंत में इस भर्ती की परीक्षा के लिए विज्ञापन निकाला और 6 जनवरी 2019 को परीक्षा हुई। परीक्षा के अगले दिन यानी 7 जनवरी को विभाग ने परीक्षा की कटऑफ़  आरक्षित वर्ग के लिए 60 और अनारक्षित वर्ग के लिए 65 प्रतिशत तय कर दी। इसके बाद ये मामला कोर्ट में गया और माननीय उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच ने कटऑफ़ को घटाकर क्रमशः 40 और 45 प्रतिशत कर दिया। इसके बाद सरकार ने मामले में डबल बेंच में अपील की जहां से 6 मई 2020 को सरकार की कटऑफ़ के आधार पर ही भर्ती करने का आदेश हुआ। इसके बाद परीक्षा में पेपर लीक, अपात्रों के ज्यादा अंक जैसी अन्य गड़बडी के सवाल उठने लगे। बकौल अमिताभ ठाकुर कुछ लोगों ने उन्हें ऐसे दस्तावेज और सबूत भेजे जिनसे परीक्षा में गड़बड़ी की बात साबित होती है। इसलिए उन्होंने एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र भेजा।

थानेदार के जबाव पर कहा ये
प्रयागराज के कर्नलगंज थाने से अपने पत्र पर आई प्रतिक्रिया के बाद अमिताभ ठाकुर ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर ही बताया कि थाना प्रभारी ने जिस देरी की बात की है तो कानून में ऐसा कोई आधार नहीं है कि किसी अपराध के लिए एफआईआर दर्ज न करने को देरी को कारण बताया जाए। साथ ही उनका कहना है कि इस भर्ती परीक्षा को लेकर अदालत में जितने भी मामलें हैं उनमें कोई क्रिमिनल मैटर नहीं है। वे सभी सिविल मामले हैं। 


एसटीएफ को सौंपी जांच 
पूरी भर्ती प्रक्रिया को लेकर मचे बवाल के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज के एक परीक्षा केंद्र का नाम सामने आने के बाद मामले की जांच एसटीएफ को सौंप दी है। इसकी जानकारी बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री डाॅ. सतीश द्विवेदी ने दी। इसके बाद आईजी अमिताभ ठाकुर ने मामले पर संतोष जताया है हालांकि उन्होंने यह जांच सीबीआई से कराने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि सीबीआई के पास ऐसे मामलों में विशेषज्ञता होती है।
 


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