माफिया को खत्म करने के लिए ही बनी यूपी एसटीएफ, श्रीप्रकाश शुक्ला से विकास दुबे तक ढेर
राजनीतिक संरक्षण और लोकल पुलिस के सहयोग के कारण यूपी पुलिस श्रीप्रकाश शुक्ला पर काबू नहीं कर पा रही थी। तभी चर्चा उड़ी कि शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की 6 करोड़ में सुपारी ले ली है।
उत्तर प्रदेश। एसटीएफ यानी स्पेशल टास्क फोर्स यूपी पुलिस का विशेष कार्य दल है। कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले बदमाश विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद यह पुलिस बल चर्चा में है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद लोग इसकी कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन असल में एसटीएफ को खूंखार अपराधियों से निपटने के लिए ही बनाया गया है।
यूपी पुलिस की वेबसाइट पर एसटीएफ के चार कार्य प्रमुख रूप से बताए गए हैं। इसमें माफियाओं की खुफिया जानकारी जुटाना, संगठित अपराध का खात्मा, आईएसआई एजेंट की तलाश आदि बड़े स्तर के काम शामिल हैं। आपको यदि एसटीएफ की कार्यशैली और इसके गठन को समझना है तो हम आपको फिल्मी दुनिया की ओर ले चलते हैं।
साल 2005 में अभिनेता अरशद वारसी द्वारा अभिनीत फिल्म आई जिसका नाम ‘सहर‘ है। सहर फिल्म का पूरा स्क्रिप्ट और कहानी यूपी में एसटीएफ के गठन और इसके पहले आॅपरेशन पर आधारित है। फिल्म में अरशद वारसी द्वारा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनउ के एसएसपी अजय कुमार का किरदार निभाया गया है, जो यूपी पुलिस के 1985 बैच के अधिकारी एसपी अरून कुमार पर आधारित है।
श्रीप्रकाश शुक्ला और एसटीएफ
फिल्म में दिखाया गया है कि 90 के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिव प्रकाश शुक्ला उर्फ श्रीप्रकाश शुक्ला का माफिया के रूप में नाम बढ़ रहा था। राजनीतिक हत्या और रंगदारी ने श्रीप्रकाश शुक्ला को अंडरवल्र्ड डाॅन के रूप में फेमस कर दिया।
राजनीतिक संरक्षण और लोकल पुलिस के सहयोग के कारण यूपी पुलिस श्रीप्रकाश शुक्ला पर काबू नहीं कर पा रही थी। तभी चर्चा उड़ी कि शुक्ला ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की 6 करोड़ में सुपारी ले ली है। इसके बाद यूपी पुलिस के एडीजी अजय कुमार ने पुलिस के 50 बेस्ट अधिकारी चुनकर इस फोर्स का गठन किया और पूरी ताकत शुक्ला के खात्में में लगा दी। 22 सितंबर 1998 को श्रीप्रकाश शुक्ला को एसटीएफ ने मार गिराया। इसके अलावा ददुआ और ठोकिया जैसे डकैतों को भी यूपी एसटीएफ ने ही अंजाम तक पहुंचाया है।
एसटीएफ की कार्यशैली
श्रीप्रकाश शुक्ला को पकड़ने के लिए यूपी एसटीएफ को मोबाइल सर्विलांस पर विशेष रूप से कार्य करना पड़ा था। इसलिए मोबाइल और इंटरनेट सर्विलांस जैसी तकनीक के सहारे ही एसटीएफ अपनी जानकारी जुटाती है।
एसटीएफ का कार्यक्षेत्र पूरा उत्तर प्रदेश है। प्रदेश से बाहर इसे दूसरे राज्य की पुलिस के साथ मिलकर कार्य करना होता है। प्रदेश के अंदर अपने आॅपरेशन की गोपनीयता बनाए रखने के लिए एसटीएफ को लोकल पुलिस को सूचना न देने की छूट है।
इसे यूपी पुलिस के एडीजी रैंक के अफसर के अधीन कार्य करना होता है, जिनकी सहायता आईजी, एसएसपी और डीएसपी रैंक अफसर करते हैं।
81 बार सम्मान
एसटीएफ को अपने बेहतरीन कार्य के लिए 81 बार भारत के राष्ट््रपति द्वारा पुलिस सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। इसके 60 अफसर अब तक आउट आॅफ टर्न प्रमोशन ले चुके हैं।