‘शेख मुहीबउल्लाह इलाहाबादी दादा मियां सरकार’ का 374वां उर्स कल प्रयागराज में

टीम भारत दीप |

आपको इब्ने अरबी हिंदी भी कहा जाता है।
आपको इब्ने अरबी हिंदी भी कहा जाता है।

शेख साहब के बारे में ख्यात है कि इन्होंने सदैव हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया, जिसके कारण दोनों ही संप्रदाय के लोग शेख साहब के अनुयायी बने। सभी में उनके प्रति अपार श्रद्धा है।

प्रयागराज। प्रयागराज के पीरजादों की बाग नई बस्ती कीडगंज स्थित मजार रविवार 21 फरवरी को शेख मुहीबउल्लाह इलाहाबादी का 374वां उर्स मनाया जाएगा। इस साल यह आयोजन सरकारी गाइडलाइन का पालन करते हुए सादगी से मनाया जा रहा है।

बताया गया है कि सूफी संत शेख मुहीबउल्लाह इलाहाबादी हिंदी के शिरोमणि कवि सूरदास, कबीरदास व तुलसीदास के समकालीन थे। यूपी गजेटियर के अनुसार इन्होंने अरबी व फारसी में अनेक पुस्तकों की रचना की है। इनकी समस्त रचनाएं सांप्रदायिक सद्भावना का संदेश देती हैं।
 
शेख साहब के बारे में ख्यात है कि इन्होंने सदैव हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया, जिसके कारण दोनों ही संप्रदाय के लोग शेख साहब के अनुयायी बने। सभी में उनके प्रति अपार श्रद्धा है।

शेख मुहीबउल्लाह इलाहाबादी मखदूम साबिर पाक बाबा फरीद गंजेशकर, ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती अजमेरी गरीबनवाज के चिश्ती सबरी समकक्ष हैं। भारत में शेख साहब को वहदतुल वजूद का सबसे बड़ा प्रवक्ता मना जाता है इसलिए आपको इब्ने अरबी हिंदी भी कहा जाता है। 


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