वाराणसी: नाभि से जुड़ी जुड़वां बहनों को बीएचयू के डॉक्टरों ने दी नई जिंदगी
डॉक्टरों ने बच्चियों के चेकअप के बाद आपरेशन के लिए उन्हें बाल शल्य चिकित्सा विभाग में भेज दिया गया। चिकित्सकों की टीम ने सारी जांच और रिपोर्ट के बाद आपरेशन करके दोनेां को अलग करने का निर्णय लिया।
वाराणसी। डॉक्टरों को धरती का भगवान का कहा जाता है, इस बात को फिर बीएचयू के डॉक्टरों ने सिद्ध किया है। यहां मां के गर्भ से ही नाभि से एक-दूसरे से जुड़ी दो जुड़वा बहनों को डॉक्टरों ने आपरेशन करके अलग करके उन्हें नई जिंदगी दी। इस सफल आपरेशन से बच्चियों के परिजन काफी खुश है। आपरेशन के बाद दोनों बच्चियां फिलहाल स्वस्थ हैं।
चंदौली के पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर के इस्लामपुरा निवासी वसीम की बीबी नुसरत दूसरी बार गर्भवती थीं। नुसरत ने बीते 31 अक्टूबर को अपने मायके डेहरी आनसोन में जुड़वा बच्चियों को जन्म दिया।
आठ महीने के बाद बच्चियों का सामान्य प्रसव से जन्म हुआ। जन्म होते ही जैसे परिजनों ने बच्चियों को देख तो उनके पैरों के तले से जमीन खिसक गई। क्योंकि दोनों बहनें नाभिस्थल से पेट से एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं। परिजन दोनों बच्चियों और उनकी मां को लेकर बीएचयू पहुंचे।
डॉक्टरों ने बच्चियों के चेकअप के बाद आपरेशन के लिए उन्हें बाल शल्य चिकित्सा विभाग में भेज दिया गया। चिकित्सकों की टीम ने सारी जांच और रिपोर्ट के बाद आपरेशन करके दोनेां को अलग करने का निर्णय लिया।
हालांकि यह आपरेशन और उसके पूर्व उन्हें बेहोश करने की प्रक्रिया बेहद जटिल थी। दोनों नवजातों को एक ही मेज पर एक ही साथ अलग-अलग बेहोश करना काफी जटिल था। फिर भी चिकित्सकों ने ऐसा करना निश्चित किया।
डॉ. शशिप्रकाश की देखरेख में डॉ. अमृता तथा सीनियर रेजीडेंट डॉ. शेफाली, डॉ. बृजनंदन एवं डॉ. भावना की टीम ने उन्हें बेहोश किया।
इसके बाद शल्य विशेषज्ञ प्रो. एसपी शर्मा की देखरेख में वरिष्ठ शल्यक डॉ. सरिता, डॉ. कनिका व डॉ. प्रणय तथा सीनियर रेजीडेंट डॉ. दीपक व डॉ. सुनील की टीम ने उनका आपरेशन कर उन्हें अलग किया। आपरेशन कक्ष में सुनीता, नीलू, अरुण, हरिश, पृथा, संजीव, रोहित, मुक्तेश्वर आदि का सहयोग रहा।
अभी गहन निरीक्षण में रहेंगी बच्चियां
डा. एसपी शर्मा ने बताया कि आपरेशन सफल रहा। फिलहाल दोनों बच्चियां स्वस्थ हैं। दोनों बच्चों का संयुक्त वजन 3:5 किलोग्राम था। आपरेशन के बाद एक का वजन 1600 ग्राम तथा दूसरे का 1400 ग्राम है। उन्हें गहन निगरानी में रखा गया है।
चार-पांच दिनों तक उनके हालात का अध्ययन किया जाएगा। प्रो. शर्मा ने बताया कि इस बीमारी का नाम ओमकैलोकेगस ट्विंस है। इन्हें कन्ज्वांइंट ट्विंस भी कहते हैं। इस तरह की बीमारी दो लाख जन्मे बच्चों में से किसी एक को होती है।
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