कैसे हो रहा इस बार हज, कितना कुछ बदल गया, जानें सबकुछ

टीम भारत दीप |

एक हजार हज यात्री हिस्सा ले रहे हैं।
एक हजार हज यात्री हिस्सा ले रहे हैं।

गौरतलब है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए सऊदी सरकार ने इस बार की हज यात्रा में कई तरह के बदलाव किया है।

इंटरनेशनल डेस्क। कोरोना संकट के बीच इस बार 28 जुलाई से 2 अगस्त तक होने वाली हज यात्रा में बहुत कुछ बदल गया। न तो इस बार हमेशा की तरह मक्का—मदीना में हाजियों का हुजूम उमड़ा न ही हज की वो रौनक दिखी। इस बार हज सीमित दायरे में हो रहा है। सऊदी अरब सरकार हज को सुचारू रूप से कराने के लिए प्रौद्योगिकी का सहारा लिया जा रहा है। गौरतलब है कि कोरोना के खतरे को देखते हुए सऊदी सरकार ने इस बार की हज यात्रा में कई तरह के बदलाव किया है।

जानकारी के लिए बता दें कि हज से पहले मक्का स्थित इस्लाम की सबसे मुकद्दस (पवित्र) स्थल खाना-ए-काबा लाखों हज यात्रियों से खचाखच भरा होता था। बहरहाल, मंगलवार को मस्जिद अल-हराम में कुछ अधिकारी और कर्मियों को आखिरी मिनट की तैयारियों को अंजाम देते देखा गया।

पिछले साल करीब 25 लाख लोगों ने हज यात्रा की थी, लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण हज यात्रियों की संख्या सीमित कर दी गई है और सांकेतिक हज की इजाजत है जिसमें एक हजार हज यात्री हिस्सा ले रहे हैं।

इस साल जिन लोगों को हज के लिए चुना गया है, उनकी कोरोना वायरस के जांच कराई गई और वे मक्का के होटलों में स्वयं पृथक-वास में हैं। हज मंत्रालय में मुख्य योजना अधिकार अमर अल मद्दाह थर्मल स्कैनिंग और इलेक्ट्रॉनिक आईडी कार्ड जैसी नई प्रौद्योगिकी को शामिल करने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम हर मुमकिन कदम उठा रहे हैं जिससे यह सुनिश्चित हो कि हज के दौरान कोविड-19 का कोई मामला नहीं आए और न ही किसी की मौत हो।

हज यात्रियों को मक्का में प्रवेश से स्वास्थ्य मंत्रालय उन्हें रिस्टबैंड (कलाई पर बांधने वाला बैंड) देगा, जिससे उनके आने जाने की निगरानी हो सकेगी और सुनिश्चित होगा कि वे अनिवार्य पृथक-वास में रहें। वहीं थर्मल स्कैनर का इस्तेमाल लोगों के शरीर का तापमान जांचने के लिए मुकद्दस स्थल पर किया जा रहा है।

हर यात्री को 20 लोगों के समूह में रखा गया है और उस समूह का एक नेता है जो हज के दौरान हर स्थान पर उनका मार्गदर्शन करेगा ताकि भीड़ के जुटने को रोका जा सके। खासकर मस्जिद अल-हराम में, जहां मुस्लिम काबा की परिक्रमा करते हैं। वहीं आराफात की पहाड़ी पर यात्री बृहस्पतिवार बिताएंगे और दुआ मांगेगे तथा इबादत करेंगे।

यहां यात्री उच्च तकनीक वाला आईडी कार्ड लगाएंगे जो उनके फोन की ऐप से कनेक्ट होगा। बता दें कि आराफात की पहाड़ी पर ही पैगंबर मोहम्मद ने करीब 1400 साल पहले आखिरी खुतबा (उपदेश) दिया था। कार्ड और ऐप के जरिए सरकार यात्रियों पर आसानी से नजर रख सकती है।

कार्ड में यात्री की निजी जानकारी, सेहत की स्थिति, आवास और अन्य जानकारियां हैं। अल मद्दाह ने कहा कि भविष्य में इन कार्ड में स्थान का पता लगाने के लिए ट्रैकर लगाए जाएंगे जिससे हज यात्री की गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी। इस कार्ड का प्रबंधन एक नियंत्रण कक्ष से होगा और इसका इस्तेमाल नकद के बजाय भुगतान कार्ड के तौर पर भी किया जा सकेगा।

हज यात्रियों को हज के दौरान पहनने के लिए विशेष पोशाक भी दी गई है जो सिलवर नैनो प्रौद्योगिकी से लैस है। यह प्रौद्योगिकी जीवाणु को मारने में मदद करती है तथा कपड़ो को वॉटर प्रूफ (जिस पर पानी का असर नहीं होता)। इस साल के हज की खास बात यह है कि हज के दौरान, खाने, रहने, आने-जाने और स्वास्थ्य का खर्च सऊदी सरकार उठा रही है।


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