विकास का 28 साल का आपराधिक इतिहास, 2007 में लगा गैंगस्टर, अगले 8 साल कोई केस नहीं
अपडेट हुआ है:
28 साल के आपराधिक इतिहास में आईपीसी की शायद ही ऐसी कोई धारा हो जो उस पर न लगी हो।उसकी हिस्ट्रीशीट भी एसएसपी ने फाड़ दी थी। फिर 2020 में उसी गैंगेस्टर और उसकी गैंग पर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप लगा।
कानपुर। यूपी के कानपुर स्थित बिकरू गांव में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या करने वाले गैंगस्टर विकास दुबे ने पहली हत्या सन् 1992 में की थी। साल 2007 में उस पर गैंगेस्टर एक्ट लगा फिर अगले आठ वर्ष तक उस पर कोई भी केस दर्ज नहीं हुआ। इस दौरान बसपा सरकार पर उसे क्लीन चिट देने का भी आरोप लगा था। उसकी हिस्ट्रीशीट भी एसएसपी ने फाड़ दी थी। फिर 2020 में उसी गैंगेस्टर और उसकी गैंग पर आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोप लगा। 28 साल के आपराधिक इतिहास में आईपीसी की शायद ही ऐसी कोई धारा हो जो उस पर न लगी हो।
साल 2009 में उत्तरप्रदेश में बसपा की सरकार थी। उस समय के कानपुर के तत्कालीन एसएसपी आनंद स्वरूप ने अपराध छोड़ चुके हिस्ट्रीशीटरों की लिस्ट बनवाई थी। इसमें ऐसे लोगों के नाम थे, जिनकी हिस्ट्रीशीट खुली थी, लेकिन उन्होंने लंबे समय से कोई अपराध नहीं किया था और अपने किए अपराधों की सजा काट चुके थे। इस कवायद की वजह यह बताई गई थी कि कई बार जिले में कोई अपराध होने पर पुलिस उन पुराने हिस्ट्रीशीटरों को भी तंग करती है, जिनका अब अपराध से कोई वास्ता नहीं है।
इस सूची में ज्यादातर हिस्ट्रीशीटर 60 से 80 साल की उम्र के लोग थे। उस समय विकास दुबे 40-45 साल का था। विकास को भी इस कार्यक्रम में बुलाया गया था। यहां तत्कालीन एसएसपी ने विकास की हिस्ट्रीशीट फाड़ दी थी। हिस्ट्रीशीट फाड़े जाने के घटनाक्रम पर कानपुर में जमकर राजनीति हुई थी। विकास के विरोधियों ने तत्कालीन बसपा सरकार पर निशाना साधा था। विपक्ष ने आरोप लगाए गए थे कि बसपा से जुड़े आपराधिक लोगों को क्लीन चिट दी जा रही है।
विकास की हिस्ट्रीशीट के मुताबिक, उसके खिलाफ 60 केस दर्ज हैं। 2007 में विकास पर चौबेपुर थाने में क्राइम नम्बर 265/07 में 3(1) गैंगस्टर एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। इसके बाद 2012 तक जब तक बसपा सरकार रही, कोई केस दर्ज नहीं हुआ। उस समय बसपा सरकार में ब्राह्मण नेताओं का दबदबा था। कानपुर की घटना के बाद एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें विकास भी कह रहा है कि मायावती उसे सीधे नाम से जानती हैं। शायद यही वजह रही कि 2007 में जिस पर गैंगस्टर एक्ट लगा, उसके बाद 8 साल तक उस पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया।
बसपा के बाद सपा सरकार आई। विकास के खिलाफ साल 2015 में 2 केस दर्ज हुए।बिकरु शूटआउट से पहले 2017 में हत्या का केस दर्ज हुआ था। प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद हिस्ट्रीशीट के मुताबिक विकास दुबे पर 2017 में 4 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें एक हत्या का मुकदमा भी है। 2018 में 1 और 2020 में 2 मुकदमे दर्ज हैं। इसके बावजूद विकास दुबे खुला घूम रहा था। बता दें कि विकास ने पहली हत्या 1992 में की थी।
इस तरह हुआ एनकाउंटर
कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाला गैंगस्टर विकास दुबे घटना के 8वें दिन शुक्रवार को एनकाउंटर में मारा गया। 5 लाख के इनामी विकास को पुलिस मध्यप्रदेश के उज्जैन से कानपुर ला रही थी। रास्ते में उसकी कार पलट गई और फिर वह पुलिस की पिस्टल लेकर भागने लगा। पुलिस की गोली लगने से उसकी मौत हो गई।