कानपुर एनकाउंटर: जिसने खुद किया सरेंडर , उसी ने की भागने की कोशिश!
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पुलिस यह क्यों कह रही है कि गाड़ी का एक्सिडेंट होने के बाद विकास दुबे भागने की कोशिश करने लगा और गोलियां चलाने लगा। ऐसे में पुलिसवालों को अपने बचाव में उसका एनकाउंटर करना पड़ा।
कानपुर। आठ पुलिसकर्मियों की हत्या का मुख्य आरोपी विकास दुबे का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया है। एसटीएफ उसे कार में बैठा कर उज्जैन से कानपुर ला रही थी। कानपुर शहर में प्रवेश करते ही सफारी पलट गई। पुलिस के मुताबिक उसने एक पुलिसकर्मी की पिस्टल लेकर भागने की कोशिश तो पुलिस को एनकाउंटर करना पड़ा। पुलिस का तर्क है कि आत्मरक्षा की कोशिश में पुलिसवालों ने जवाबी कार्रवाई की। एसटीएफ के अधिकारी ने बताया कि डॉक्टर्स ने विकास दुबे को मृत घोषित कर दिया है।
सवाल उठाता एनकाउंटर
हालांकि यहां ये सवाल उठ खड़ा हुआ है कि कि वहां आखिर हुआ क्या था? खासकर तब जबकि उज्जैन में विकास दुबे जोर-जोर से शोर मचाकर कह रहा था कि मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला। जो व्यक्ति खुद को सरेंडर कर रहा हो, वह बाद में भागने की कोशिश क्यों करेगा! सवाल यह भी है कि आमतौर पर ऐसे केस में पारदर्शिता के लिए मीडिया को भी साथ चलने की इजाज़त होती है लेकिन इस मामले में ऐसा क्यों नहीं किया गया? ऐसे में भी शक की गुंजाइश रहती है कि कहीं यह पुलिस की रणनीति में पहले से ही योजनाबद्ध तो नहीं थी!
पुलिस ने लोगों से हटने को कहा
बता दें कि पुलिस एनकाउंटर वाली जगह से गुजर रहे चश्मदीद लोगों के मुताबिक भी वहां गोलियां चल रही थीं और पुलिस वालों ने उन्हें वहां से हटने के लिए कहा था। हालांकि चश्मदीद की यह बात भी काफी मायने रखती है कि जिस वक्त वहां गोलियां चल रही थीं, तब तक वहां किसी गाड़ी का कोई एक्सिडेंट नहीं हुआ था। फिर, पुलिस यह क्यों कह रही है कि गाड़ी का एक्सिडेंट होने के बाद विकास दुबे भागने की कोशिश करने लगा और गोलियां चलाने लगा। ऐसे में पुलिसवालों को अपने बचाव में उसका एनकाउंटर करना पड़ा।
विकास की मां को लगा धक्का
एक ओर आठ पुलिसकर्मियों के हत्यारे विकास दुबे और उसकी गैंग सदस्यों के एनकाउंटर में मारा जाना दूसरों जहां संवेदनशील न लग रहा हो, लेकिन दूसरी ओर विकास दुबे की मौत की खबर ने उसके परिवारवालों को बुरी तरह से तोड़कर रख दिया है। उसकी मां की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। वह किसी से बात करने की हालत में भी नहीं है। जो मां कुछ घंटों पहले तक बेटे को सजा दिलाने की बात पर हामी भर रही थी, वही मां आज उसकी मौत की खबर से बुरी तरह से टूट गई है। वह होश में नहीं है और कुछ भी उलजलूल बोल रही हैं।
इन लोगों के लिए बन सकता था मुसीबत
पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद जिस तरह से सारा घटनाक्रम सामने आया है, उससे तो यह पहले ही साफ हो गया था कि विकास दुबे का भी एनकाउंटर कर दिया जाएगा। फिर यहां उसके पकड़े जाने से कई सफेद कुर्ते वाले नेताओं के सिर पर तनाव की तलवार लटक रही थी। बयान कई नेताओं, आईएएस, आईपीएस जैसे आला अधिकारियों की भी पोल खोल सकते थे। ऐसे में उसका जिंदा पकड़ा जाना पुलिस के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला ही होने वाला था। विकास दुबे के संबंध लगभग सभी दलों के नेताओं से रहे हैं। इस मामले ने तो ये और साफ कर दिया था कि सिर्फ सफेद दामन वाले ही नहीं बल्कि खाकी भी उसकी मददगार है।
कहीं इस वजह से तो नहीं हुआ एनकाउंटर
यकीनन नाम उजागर हो जाने के भय ने नेताओं और उन अफसरों को एकजुट कर विकास दुबे के बयान दर्ज होने से पहले ही उसका एनकाउंटर कर दिया जाए, इसी में अपना भला मानकर उसके एनकाउंटर की रणनीति तैयार की। कहा जा सकता है कि यह एनकाउंटर पहले से ही तय था, क्योंकि इसके लिए पुलिस पर ऊपर से जोर डाला जा रहा होगा। अगर ऐसा न होता तो कई नेताओं और अधिकारियों का करियर खत्म हो जाता। ऐसे में विकास दुबे का एनकाउंटर कई सवाल खड़े करता है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या ऐसे अपराधियों को पैदा करने वाली राजनीति और उन्हें बढावा देने वाले अधिकारियों पर भी कभी नकेल कसी जाएगी? क्या कभी उन्हें भी कोई बेपर्दा कर पाएगा?