विकास दुबे की पत्नी ने भी नहीं बताया एनकाउंटर को फर्जी, पुलिस को आयोग ने दी क्लीनचिट
आपकों बता दें कि जांच आयोग की रिपोर्ट प्रदेश सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में पेश कर दी। कानपुर के बिकरू गांव में 2/3 जुलाई 2020 को आठ पुलिस कर्मियों की हत्या और बाद में इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिए यह न्यायिक आयोग गठित किया गया था।
लखनऊ। आठ पुलिस कर्मियों की हत्या का आरोपित कुख्यात अपराधी विकास दुबे को यूपी पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में नहीं मारा था। जांच आयोग ने पुलिस टीम को क्लीनचिट दे दी। क्योंकि जांच आयोग के सामने किसी ने भी इसे मुठभेड़ को फर्जी बताने के लिए कोई भी व्यक्ति साक्ष्य लेकर आयोग के सामने नहीं आया।
जांच आयोग ने पेश की रिपोर्ट
आपकों बता दें कि जांच आयोग की रिपोर्ट प्रदेश सरकार ने गुरुवार को विधानसभा में पेश कर दी। कानपुर के बिकरू गांव में 2/3 जुलाई 2020 को आठ पुलिस कर्मियों की हत्या और बाद में इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटनाओं की जांच के लिए यह न्यायिक आयोग गठित किया गया था।
आयोग में हाईकोर्ट के अवकाश प्राप्त न्यायमूर्ति शशि कांत अग्रवाल और पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता सदस्य थे, जांच आयोग ने 132 पृष्ठों की जांच रिपोर्ट में पुलिस एवं न्यायिक सुधारों के संबंध में कई अहम सिफारिशें भी की हैं। रिपोर्ट के साथ 665 पृष्ठों की तथ्यात्मक सामग्री भी राज्य सरकार को सौंपी है।
आयोग के सामने पेश नहीं हुई विकास की पत्नी
विकास दुबे एनकांउटर के सभी पहलुओं की जांच के बाद आयोग ने कहा है कि पुलिस के पक्ष और घटना से संबंधित साक्ष्यों का खंडन करने के लिए जनता या मीडिया की तरफ से कोई भी आगे नहीं आया।
मृतक विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे ने पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए एफिडेविट तो दिया था लेकिन वह आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुईं। इस तरह घटना के संबंध में पुलिस के पक्ष पर संदेह नहीं किया जा सकता है, मजिस्ट्रेटी जांच में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए थे।
इसे भी पढ़ें...