कोरोना पर वर्चुअल मंथन : बच्चों में कोई भी नए लक्षण न करें नजरंदाज, विशेषज्ञों ने दिए ये जरूरी टिप्स
बच्चों में डायरिया, उल्टी-दश्त, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आँखें लाल होना या सिर व शरीर में दर्द होना, साँसों का तेज चलना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यदि ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उसे नजरंदाज कतई न करें और लक्षण सामान्य हैं तो बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें। किन्तु बच्चा यदि पहले से किन्हीं बीमारियों की चपेट में रहा है और कोरोना के भी लक्षण नजर आते हैं तो उसे चिकित्सक के संपर्क में रखें ।
लखनऊ। महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत प्रदेश में संचालित 180 बाल गृहों में रह रहे शून्य से 18 साल के बच्चों को कोरोना से सुरक्षित बनाने को लेकर शनिवार को विभागीय कोविड वर्चुअल ग्रुप के अधिकारियों और विशेषज्ञों ने गहनता से विचार-विमर्श किया । बच्चों में कोरोना के लक्षणों और बचाव के तरीकों पर विषय विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी ।
बाल गृहों के कर्मचारियों के क्षमतावर्धन के लिए कोविड वर्चुअल ग्रुप द्वारा आयोजित वेबिनार में बाल गृहों की व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की जरूरत पर जोर दिया गया । चर्चा के दौरान सभी का यही कहना था कि बाल गृहों में साफ़-सफाई, बच्चों के खानपान और उनकी खास देखभाल की इस वक्त अधिक जरूरत है ।
वेबिनार में उपस्थित एसजीपीजीआई, लखनऊ की वरिष्ठ कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कहा कि इस समय बच्चों में कोई भी नए लक्षण नजर आएं तो उनको नजरंदाज करने की कतई जरूरत नहीं है । बच्चों में डायरिया, उल्टी-दश्त, सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, आँखें लाल होना या सिर व शरीर में दर्द होना, साँसों का तेज चलना आदि कोरोना के लक्षण हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि ऐसे लक्षण नजर आते हैं तो उसे नजरंदाज कतई न करें और लक्षण सामान्य हैं तो बच्चे को होम आइसोलेशन में रखें। किन्तु बच्चा यदि पहले से किन्हीं बीमारियों की चपेट में रहा है और कोरोना के भी लक्षण नजर आते हैं तो उसे चिकित्सक के संपर्क में रखें । उन्होंने बाल गृह में रह रहे बच्चों का हेल्थ चार्ट बनाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि यह चार्ट हर बालगृह अपने पास रखें और उसको नियमित रूप से भरते रहें, उसमें बुखार, पल्स रेट, आक्सीजन सेचुरेशन, खांसी, दस्त आदि का जिक्र है। जिससे पता चलता रहेगा कि बच्चे को कब आइसोलेट करने की जरूरत है या कब अस्पताल ले जाना है । बताया गया कि बच्चा ज्यादा रोये, गुस्सा करे या गुमशुम रहे तो उस पर भी नजर रखनी है और उसके काउंसिलिंग की जरूरत है।
कहा गया कि बाल गृहों में काउंसलर की अहम् भूमिका है। उनके प्यार-दुलार या समझाने के तरीके से ही बच्चे की बहुत सी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं। डॉ. पियाली ने कहा कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।
बताया गया कि इसलिए उनके खाद्य पदार्थों में हरी साग-सब्जी, दाल, मौसमी फल जैसे- तरबूज, खरबूज, नींबू, संतरा आदि को जरूर शामिल करें ताकि शरीर में रोग से लड़ने की ताकत पैदा हो सके। इसके अलावा हाई प्रोटीन का भी ख्याल रखें, बच्चे को पनीर, मठ्ठा, छाछ, गुड-चना आदि इसके लिया दिया जा सकता है । बताया गया कि मांसाहारी को अंडा, मछली आदि दिया जा सकता है।
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि बच्चा मोटा है तो उसको कोविड नहीं होगा, ऐसे बच्चों में भी संक्रमण हो रहा है। इसलिए अन्दर से मजबूत होना ज्यादा जरूरी है । वेबिनार में भाग ले रहे प्रतिनिधियों के सवालों के जवाब में डॉ. पियाली ने कहा कि जैसी की चर्चा में है कि कोरोना की तीसरी लहर भी आ सकती है जो कि बच्चों को ज्यादा प्रभावित कर सकती है।
इस लिहाज से भी अभी वक्त है कि बच्चों में मास्क लगाने, सोशल डिस्टेंसिंग और हैण्ड वाश की आदत डाली जाए, क्योंकि तीसरी लहर सितम्बर-अक्टूबर में आने की बात कही जा रही है। उन्होंने कहा कि सेनेटाइजर की जगह पर साबुन-पानी से हाथ धोने पर जोर देना चाहिए। क्योंकि यह सेनेटाइजर की तुलना में ज्यादा उपयोगी है।
उन्होंने कहा कि यदि तीसरी लहर आती भी है तो बच्चे इस कारण से भी ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं क्योंकि 18 साल से ऊपर वालों का ही अभी टीकाकरण किया जा रहा है। बताया गया कि उसके नीचे वालों के लिए तो अभी कोई टीका भी नहीं है ।
इसलिए उनको सुरक्षित बनाने के लिए बाल गृहों में हेल्प डेस्क की स्थापना हो और वहां पर हेप्लाइन के नम्बर -1075, 1800112545 और चाइल्ड लाइन का नम्बर 1098 का डिस्प्ले जरूर हो । कार्यक्रम में निदेशक, महिला कल्याण मनोज कुमार राय ने कहा कि कोविड-19 को देखते हुए बाल गृहों में रह रहे बच्चों को पहले से ही विभिन्न आयु वर्ग में विभाजित कर उनके स्वास्थ्य की देखभाल की जा रही है ।
अन्य व्यवस्थाएं भी चुस्त-दुरुस्त हैं । बाल गृहों में विशेषज्ञों की राय से जरूरी दवाओं का प्रबंध किया गया है। श्री राय ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान में 180 बाल गृह संचालित हो रहे हैं, जिनमें शून्य से 18 साल के करीब 7000 बच्चे रह रहे हैं । बच्चों को बेहतर माहौल प्रदान करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य की समुचित देखभाल के लिए अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर और नर्सिंग स्टाफ की तैनात है ।
वेबिनार में प्रदेश के समस्त मंडलों के विभागीय अधिकारियों, जिलों के प्रोबेशन अधिकारियों, बाल गृहों के अधीक्षक, केयर टेकर, काउंसलर, नर्सिंग स्टाफ के अलावा सेंटर फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार), यूनिसेफ व अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल रहे ।