गंगा—यमुना का जलस्तर बढ़ते ही लोगों की घड़कने हुईं तेज, पिछले वर्ष मची थी तबाही
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गंगा के जलस्तर में पिछले 24 घंटे में 17 सेंटीमीटर का बढ़ाव दर्ज किया गया। जो पिछले साल तबाही झेलने वालों के लिए जख्म ताजा कर गया है।
मॉनसून के दस्तक देने और पूर्वांचल में लगातार हो रही बारिश के कारण गंगा—यमुना का जलस्तर तेजी के साथ बढ़ रहा है। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार, रविवार को वाराणसी में गंगा का जलस्तर 60.21 मीटर पहुंच गया। गंगा के जलस्तर में पिछले 24 घंटे में 17 सेंटीमीटर का बढ़ाव दर्ज किया गया। जो पिछले साल तबाही झेलने वालों के लिए जख्म ताजा कर गया है।
प्रतिघंटा इतनी है रफ्तार
शनिवार को गंगा का जलस्तर 60.07 मीटर था। शनिवार सुबह आठ से रात आठ बजे तक जलस्तर में छह सेंटीमीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई और रात में यह 60.13 मीटर पहुंच गया। रविवार सुबह आठ बजे आठ सेंटीमीटर की और बढ़ोतरी दर्ज की गई। 24 घंटे में जलस्तर में बढ़ाव की रफ्तार आधा सेंटीमीटर प्रति घंटा से अधिक रही।
तबाही भूले नहीं हैं लोग
शुक्रवार को भी 36 घंटे में गंगा के जलस्तर में एक फुट की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। गंगा का जलस्तर बढ़ने का मुख्य कारण प्रयाग और उससे आगे गंगा व यमुना के प्रवाह पथ पर तेज बारिश का होना बताया गया है। पिछले साल आई गंगा में बढ़ते जलस्तर के कारण बहु तबाई मचाई थी। गंगा के तटीय किनारों में बाढ़ आ गई थी। जिस कारण कई लोगों की मौत भी हुई थी। साथ ही लोगों को पलायन करना पड़ा था। अभी लोग तबाही भूले नहीं है।
अधिकतम जलस्तर रहा था
पूर्वांचल के कई जिले पिछले साल गंगा में आई बाढ़ की चपेट में आ गए थे। हर जिले में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही थीं। वाराणसी में वर्ष 2016 के बाद यह पहला मौका था, जब गंगा ने वाराणसी में खतरा बिंदु को पार कर लिया था। इससे पहले 2013 को वाराणसी में गंगा ने खतरे का निशान पार किया था। जलस्तर पिछले साल कभी एक घंटा प्रति सेमी तो कभी दो घंटा प्रति सेंमी बढ़ रहा था। गंगा खतरे के निशान को पार करके कई दिनों तक बह रही थी। 1978 की बाढ़ में अधिकतम जलस्तर 73.901 मीटर रहा था।
पूर्वांचल के इन जिलों में खतरे का निशान-
वाराणसी - 71.26 मीटर
गाजीपुर - 63.10 मीटर
बलिया - 57.61 मीटर
मिर्जापुर - 77.72 मीटर
चंदौली - 71.40 मीटर
भदोही - 80 मीटर