कर्मचारी हों या फिर किसान, बातचीत के जरिए सरकार ढूंढे समाधान
देशभर के किसान, बाल बच्चों के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। देशभर के कर्मचारी संगठन भी अपनी मांगों के लिए किसी न किसी रूप में प्रदेशों में आंदोलन कर रहे हैं। निजीकरण के विरोध में भी आंदोलन चल रहे हैं।
लखनऊ। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन ने प्रधानमंत्री से मांग करते हुए कहा है कि किसानों, कर्मचारियों एवं मजदूरों के संगठनों से सकारात्मक बातचीत करके फैसले करने चाहिए। एस्मा लगाना समस्या का समाधान नहीं है। आंदोलनों को रोकने के लिए एस्मा लगाना एवं दंडात्मक कार्यवाही करने से आक्रोश और बढ़ जाता है।
संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.पी. मिश्र एवं महामंत्री प्रेमचंद्र ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर मांग की है कि देशभर के किसान, बाल बच्चों के साथ धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। देशभर के कर्मचारी संगठन भी अपनी मांगों के लिए किसी न किसी रूप में प्रदेशों में आंदोलन कर रहे हैं। निजीकरण के विरोध में भी आंदोलन चल रहे हैं।
निरंतर बढ़ती महंगाई से देशभर के कर्मचारी परेशान हैं। इसकी क्षति पूर्ति के लिए महंगाई भत्ते पर रोक भी लगा रखी गई है। उनके मुताबिक इप्सेफ द्वारा भी कई बार प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्रियों को ज्ञापन भेजा गया लेकिन प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री मौन हैं।
इस बात एक विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव एवं महामंत्री राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तर प्रदेश अतुल मिश्र तथा उपाध्यक्ष शशि कुमार मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार ने वेतन समिति की संस्तुतियों को लागू नहीं किया है।
भत्तों पर भी रोक लगा रखी गई है। कर्मचारी-शिक्षक संयुक्त मोर्चा की मुख्य सचिव स्तर पर 14 नवंबर को बैठक हुई थी जिसका कार्यवृत्त ही जारी नहीं किया गया है। जिसके कारण मुख्य सचिव द्वारा बैठक में लिए गए निर्णय-निर्देशों पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
इसी प्रकार के अन्य राज्यों में भी नकारात्मक रवैया है। संगठन ने मांग करते हुए कहा है कि इप्सेफ से बातचीत करके मांगों पर सार्थक निर्णय किया जाए जिससे कि शासन एवं कर्मचारियों के बीच टकराव की स्थिति पैदा न हो।
देशभर के कर्मचारी रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नति या निजीकरण एवं सभी राज्यों के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों को तत्काल लागू करने तथा आउटसोर्सिंग संविदा के लिए स्थाई नीति मुद्दों पर मिल बैठकर समाधान निकाला जाए अन्यथा देश भर के कर्मचारी आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
यहां यह भी कहा गया है कि इप्सेफ का दृष्टिकोण हमेशा सहयोगात्मक रहा है और ऐसा ही बना रहेगा।