गोरखपुर मे व्हाइट फंगस की दस्तक, मिले तीन मरीज, जानिए इसके लक्षण

टीम भारत दीप |

अगर ज्‍वाइंट पर इसका असर होता है तो जोड़ों में तेज दर्द होता है।
अगर ज्‍वाइंट पर इसका असर होता है तो जोड़ों में तेज दर्द होता है।

गोरखपुर में अभी कोरोना का संक्रमण कम हुआ तो ब्लैक फंगस ने दस्तक दी। ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीजों का ‌इलाज किसी तरह शुरू हुआ कि अब व्हाइट फंगस के लक्षण वाले मरीजों ने ‌प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा दी है। जिन तीन मरीजों शुरुआती व्हाइट फंगस के लक्षण मिले हैं। वह कोविड पॉजिटिव भी है। उनका इलाज कोविड वार्ड में चल भी रहा है।

गोरखपुर। अभी कोरोना की वजह से होने वाली तबाही शांत नहीं हुई थी कि ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ने लगे। इन सभी के बीच गोरखपुर में व्हाइट फंगस ने भी दस्त्क दे दी। रविवार को तीन व्हाइट फंगस के मरीज मिलने से ​मेडिकल कॉलेज प्रशासन की नींद उड़ी हुई है।

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में तीनों मरीजों का इलाज कोविड वार्ड में ही चल रहा है। प्रारंभिक लक्षण मिलने के बाद अधिकारी सकते में आ गए हैं। मामले की तस्दीक के लिए तीनों मरीजों के नमूने कल्चर एंड सेंसटिविटी टेस्ट के लिए माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग भेजा गया है। इसकी रिपोर्ट 72 से 96 घंटे के बीच आएगी।

गोरखपुर में अभी कोरोना का संक्रमण कम हुआ तो ब्लैक फंगस ने दस्तक दी। ब्लैक फंगस के लक्षण वाले मरीजों का ‌इलाज किसी तरह शुरू हुआ कि अब व्हाइट फंगस के लक्षण वाले मरीजों ने ‌प्रशासन की मुसीबतें बढ़ा दी है। जिन तीन मरीजों शुरुआती व्हाइट फंगस के लक्षण मिले हैं। वह कोविड पॉजिटिव भी है। उनका इलाज कोविड वार्ड में चल भी रहा है।

लक्षणों के आधार पर हुई तस्दीक

तीनों मरीज कोविड वार्ड के आईसीयू में हैं। तीनों में दो दिन पहले सफेद फंगस के लक्षण मिले। उनके थ्रोट स्वाब की जांच में कुछ फंगस ट्रेस हुए। इसके बाद इलाज कर रहे डॉक्टर अलर्ट हो गए।

डॉक्टरों को डर है कि अगर व्हाइट फंगस का संक्रमण बढ़ता है तो वह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। यही वजह है कि एहतियात के तौर पर मरीजों की दवाएं भी शुरू कर दी गई है।

बीआरडी मे‌डिकल कॉलेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि शुरुआती लक्षण में तो व्हाइट फंगस की बात सामने आई है। कल्चर एंड सेंसटिविटी जांच की जाएगी। इसके बाद बीमारी की पुष्टि हो सकेगी। इसमें तीन से चार दिक्त का वक्त लगेगा।

कमजोर इम्युनिटी वालों को अधिक खतरा

सफेद फंगस के शिकार होने वालों के विषय में डॉ. अमरेश ‌सिंह ने बताया कि कमजोर इम्युनिटी वाले को खतरा ज्यादा है। इस बीमारी को कैंडिडा भी कहते है। विशेष रूप से मधुमेह, एचआईवी मरीज या स्टेरॉयड का प्रयोग करने वाले मरीजों को खतरा ज्यादा होता है, जो खून के माध्‍यम से शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है।

ये बीमारी म्यूकॉरमाइसाइट्स नामक फफूंद से होती है जो नाक के माध्‍यम से बाकी अंग में पहुंचती है। ये फंगस हवा में होता है जो सांस के जरिए नाक में जाता है। इसके अलावा शरीर के कटे हुए अंग के संपर्क में अगर ये फंगस आता है तो ये संक्रमण हो जाता है।

ये हैं लक्षण

डॉक्‍टर के अनुसार व्‍हाइट फंगस के लक्षणों में सिर में तेज दर्द, नाक बंद होना या नाक में पपड़ी सी जमना, उल्‍टियां, आंखें लाल होने के साथ सूजन आती है। अगर ज्‍वाइंट पर इसका असर होता है तो जोड़ों में तेज दर्द होता है।

ब्रेन पर अगर इसका असर होता है तो व्‍यक्ति की सोचने समझने की क्षमता पर असर दिखता है। बोलने में भी समस्‍या होती है। इसके अलावा शरीर में छोटे-छोटे फोड़े जो सामान्‍य तौर पर दर्द रहित रहते हैं। ऐसे कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।


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