कनाडा की नन्ही पहलवान: मात्र 7 साल की उम्र में 80 किलो वजन उठाकर जीते कई अंतरराष्ट्रीय अवार्ड
कनाडा की रोरी वैन उल्फ ने महज 7 वर्ष की उम्र 80 किलो का वजन उठाया। इस नन्ही महाबली ने दो साल की ट्रेनिंग लेने के बाद ओलिंपिक वुमन्स बार में स्नैच में 32 किग्रा, क्लीन एंड जर्क में 42 किग्रा के साथ-साथ स्क्वाटिंग में 61 किग्रा और डेडलिफ्ट में 80 किग्रा वजन उठाकर लोगों को हैरत में डाल दिया।
लंदन। एक नन्ही बच्ची जिसकी उम्र मात्र 7 वर्ष है, उसने 80 किलो वजन उठाकर दुनिया की सबसे शक्तिशाली बच्ची बनने का गौरव हासिल किया है। ओटावा की इस नन्ही महाबली ने पहली बार अपनी 5 वर्ष की उम्र में वजन उठाया था।
दैनिक भास्कर के अनुसार, कनाडा की रोरी वैन उल्फ ने महज 7 वर्ष की उम्र 80 किलो का वजन उठाया। इस नन्ही महाबली ने दो साल की ट्रेनिंग लेने के बाद ओलिंपिक वुमन्स बार में स्नैच में 32 किग्रा, क्लीन एंड जर्क में 42 किग्रा के साथ-साथ स्क्वाटिंग में 61 किग्रा और डेडलिफ्ट में 80 किग्रा वजन उठाकर लोगों को हैरत में डाल दिया।
भास्कर के अनुसार, रोरी 5 साल की उम्र से ही वजन उठाने की प्रैक्टिस कर रही है। रोरी अपनी उपलब्धि पर कहती है- मुझे मजबूत होना पसन्द है। रोरी का कहना है कि मजबूत होने पर मुझे और ज्यादा मेहनत करने की प्रेरणा मिलती है। मैं मुकाबले से पहले और बाद में ज्यादा दिमाग पर जोर नहीं डालती और ज्यादा नहीं सोचती। रोरी का कहना है कि हमेशा अपने दिमाग को प्रैक्टिस और बेहतर करने पर फोकस करती हूं।
भास्कर की खबर के अनुसार, रोरी अपने 5वें जन्मदिन के बाद वजन उठाने की प्रैक्टिस करने लगी थी। रोरी ने इस 2 सालों में कई अंतरराष्ट्रीय अवार्ड हासिल किए। रोरी हफ्ते में 9 घण्टे जिम्नास्टिक और 4 घण्टे वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस करती है। इसके साथ ही रोरी ने हाल ही में यूएसए वेटलिफ्टिंग अंडर-11 और अंडर- 13 यूथ नेशनल चैंपियन का खिताब हासिल कर इतिहास में कम उम्र की खिलाड़ी होने का रिकॉर्ड बनाया।
रोरी का कहना है कि उसे जिम्नास्टिक और वेटलिफ्टिंग दोनों ही खेल पसंद है और वह दोनों खेलो की प्रैक्टिस जारी रखेगी। क्योंकि, दोनों खेलो में बहुत ज्यादा ताक़त की जरूत होती है, और यही उसे पसंद है। रोरी के पिता कैवेन का कहना है कि 'पॉवरलिफ्टिंग शक्ति का खेल है जिसमे तीन लिफ्टों पर अधिकतम वजन पर तीन प्रयास होते है- स्क्वाट, बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट।
रोरी के पिता का कहना है कि उनकी बेटी रोटी इन तीनों में अपनी ताकत का एहसास कराया है। इंटरनेशनल वेटलिफ्टिंग फेडरेशन पाउंड- फ़ॉर- पाउंड ताकत को मापता है और शरीर के वजन के मुताबिक ही वह एथलीट को श्रेष्ठता का खिताब देता है।'