योगी की नई टीम: 31 नए चेहरों के बल पर 2024 फतेह करने की तैयारी में बीजेपी
योगी के मंत्रिमंडल में जिस तरह 21 अगड़े और 21 पिछड़ों के साथ 8 दलित एवं एक-एक सिख, मुस्लिम और अनुसूचित जनजाति के चेहरों के साथ सामाजिक समीकरण संतुलित करने की कोशिश की गई है उसने स्पष्ट कर दिया कि अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 2022 से शुरू हो रही
लखनऊ। देश के सबसे राज्य यूपी के सीएम के रूप में योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार शपथ ग्रहण की। सीएम के शपथ के साथ ही योगी की टीम के 52 मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की। इन 52 में से 32 नए चेहरों को मौका मिला।
आपकों बता दें कि योगी के मंत्रिमंडल में जिस तरह 21 अगड़े और 21 पिछड़ों के साथ 8 दलित एवं एक-एक सिख, मुस्लिम और अनुसूचित जनजाति के चेहरों के साथ सामाजिक समीकरण संतुलित करने की कोशिश की गई है
उसने स्पष्ट कर दिया कि अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में 2022 से शुरू हो रही योगी सरकार की दूसरी पारी में शामिल खिलाड़ियों पर सिर्फ अच्छे रन बनाने की ही जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के लिए बेहतर परफॉरमेंस देने का भी जिम्मा है।
कई चेहरों को दिखाया बाहर का रास्ता
योगी के मंत्रिमंडल से कई प्रमुख चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने वाले अलग-अलग वर्गों से 31 नए चेहरों के जरिए भविष्य की तैयारी के संकल्प का संदेश भी दिया गया है।
मंत्रिमंडल में सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय सरोकारों के समीकरणों के साथ पुराने व नए चेहरों के संतुलन से एजेंडे पर ज्यादा साहस व सक्रियता से काम करने का भरोसा भी जताया गया है। डॉ. दिनेश शर्मा सहित कई बड़े चेहरों को योगी सरकार की दूसरी पारी में जगह न देकर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि बेदाग छवि के साथ नेतृत्व को 2024 के लिए नतीजे देने वाले चेहरों की भी जरूरत है।
अंतिम समय तक बना रहा सस्पेंस
योगी मंत्रीमंडाल में शामिल नामों को लेकर अंतिम समय तक सस्पेंस बना रहा। पुराने फॉर्मूले के अनुसार सीएम योगी के साथ दो डिप्टी सीएम सहित नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी हुई।
जिस तरह योगी सरकार-1 के डिप्टी सीएम केशव मौर्य को पराजित होने के बावजूद उप मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन डॉ. दिनेश शर्मा की जगह ब्राह्मण चेहरे के रूप में ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई,
उससे साफ हो गया कि भाजपा हाईकमान की मंशा सिर्फ जातीय संतुलन साधने भर की नहीं है, बल्कि वह 2024 के लिए ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी सौंपना चाहती है जो अपने-अपने समाज के बीच पार्टी की पकड़ व पहुंच को ज्यादा पुख्ता कर सकें।
कोर वोट के साथ नए वोटबैंक की लामबंदी
मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों के जरिए कोर वोट की लामबंदी मजबूत करने के साथ 2024 के मद्देनजर नए वोट की लामबंदी की भी कोशिश दिखी। यही वजह है कि चुनाव में पराजित होने के बावजूद केशव मौर्य को उप मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखकर
रणनीतिकारों ने जहां प्रदेश में 7 प्रतिशत के करीब कोइरी, कुशवाहा, मौर्य, शाक्य, सैनी जैसे वोटों को साधने की कोशिश के साथ यह भी भरोसा देने प्रयास है कि वे यदि स्वामी प्रसाद मौर्य एवं धर्मसिंह सैनी जैसे नेताओं की बगावत के बावजूद भाजपा का साथ देते हैं तो भाजपा भी उनके सम्मान की चिंता करती है।
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